अभी कुछ ही साल हुए हैं जब 5G का नाम सुनकर हम सब हैरान थे – सोच रहे थे कि इतनी तेज़ स्पीड कैसे मिल सकती है? लेकिन अब टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और नया नाम सामने आ गया है – 6G नेटवर्क। बहुत से लोग अब पूछ रहे हैं – 6G क्या है, 6G कब आएगा, और भारत में 6G की क्या तैयारी चल रही है? मैंने खुद जब ये सब पढ़ा तो लगा कि इस पर एक आसान भाषा में, अपने अंदाज़ में एक पूरा आर्टिकल लिखूं, जिससे सबको समझ आ सके कि आखिर ये 6G टेक्नोलॉजी है क्या बला।
क्या 6G आ चुका है? जानिए क्या चल रहा है टेक्नोलॉजी की दुनिया में!
अब देखिए, जब हम 4G इस्तेमाल कर रहे थे तब 5G की बातें हो रही थीं, और अब जब 5G धीरे-धीरे हमारे फोन में आ रहा है, तो 6G का शोर शुरू हो गया है। इसका मतलब ये है कि टेक्नोलॉजी कभी नहीं रुकती। हर 10 साल में एक नई पीढ़ी (Generation) आती है – 1G से शुरू हुआ सफर अब 6G तक पहुंच गया है। तो अगर आप भी जानना चाहते हैं कि 6G network कितना तेज होगा, इससे हमारी ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा, और क्या ये सच में 5G से बेहतर होगा – तो ये लेख आपके लिए ही है।मैंने इस आर्टिकल में कोशिश की है कि तकनीकी बातें भी आसान भाषा में समझाऊं, ताकि कोई भी – चाहे स्टूडेंट हो, टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी रखने वाला हो या कोई आम मोबाइल यूज़र – हर कोई 6G के बारे में जान सके।
आने वाले समय में 6G की स्पीड, AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), होलोग्राम कॉल, स्मार्ट शहर, और यहां तक कि दूर से सर्जरी जैसी चीज़ें संभव हो जाएंगी। ये सब सुनकर शायद आपको लगे कि ये किसी फिल्म की कहानी है, लेकिन सच ये है कि ये सब अब बहुत दूर नहीं है।
और हां, अगर आप गूगल पर ये सर्च कर रहे हैं – 6G kya hai in Hindi, 6G technology in India, 6G kab launch hoga, 5G aur 6G me kya fark hai, या फिर future of 6G – तो आप एकदम सही जगह पर हैं।
तो चलिए अब शुरू करते हैं 6G की पूरी कहानी, मेरे साथ, बिल्कुल साफ और सरल शब्दों में...
6G तकनीक: क्या यह आ चुकी है? जानिए 2025 में टेक्नोलॉजी की दुनिया में क्या चल रहा है
2025 में, 6G तकनीक अभी तक आम उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं हुई है, लेकिन इसके विकास और परीक्षण में दुनिया भर में तेजी से प्रगति हो रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 6G का व्यावसायिक रूप से उपयोग 2030 तक शुरू हो सकता है।
6G क्या है?
6G, या छठी पीढ़ी की मोबाइल नेटवर्क तकनीक, 5G की तुलना में कई गुना तेज और अधिक सक्षम होगी। यह तकनीक उच्च गति, कम विलंबता, और अधिक विश्वसनीयता प्रदान करेगी, जिससे नई सेवाओं और अनुप्रयोगों का विकास संभव होगा।
2025 में 6G पर वैश्विक परिदृश्य
भारत
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद (IIT-H) ने जापान की शार्प सेमीकंडक्टर इनोवेशन कॉर्पोरेशन (SSIC) और WiSig नेटवर्क्स के साथ मिलकर 6G और बीयॉन्ड 5G तकनीकों का सफल परीक्षण किया है। इस परीक्षण में SSIC के सॉफ्टवेयर-परिभाषित रेडियो (SDR) सिस्टम-ऑन-चिप का उपयोग किया गया, जो WiSig के मोबाइल नेटवर्क सिस्टम के साथ एकीकृत होकर उच्च प्रदर्शन प्रदान करता है। इस सहयोग का उद्देश्य 2026 तक फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस, मिशन-क्रिटिकल पुश-टू-टॉक, V2X ऑटोनॉमस नेविगेशन, और सैटेलाइट-रेडी NB-IoT स्मार्ट मीटरिंग जैसे अनुप्रयोगों का समर्थन करना है।
हालांकि, भारत को 6G अनुसंधान के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने FY25 में दूरसंचार अनुसंधान और विकास के लिए ₹1,100 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जो GDP का केवल 0.03% है। इसके विपरीत, चीन ने दूरसंचार अनुसंधान के लिए $1.55 ट्रिलियन का फंड निर्धारित किया है। @EconomicTimes
चीन
चीन की चांग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी ने सैटेलाइट-टू-ग्राउंड लेजर कम्युनिकेशन में 100 गीगाबिट प्रति सेकंड की डेटा ट्रांसमिशन दर हासिल की है, जो 6G इंटरनेट के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परीक्षण एक ट्रक पर लगे ग्राउंड स्टेशन और जिलिन-1 सैटेलाइट के माध्यम से किया गया, जिससे अत्यधिक उच्च गति की 6G इंटरनेट और अन्य सैटेलाइट तकनीकों की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
दक्षिण कोरिया और जापान
दक्षिण कोरिया ने 2028 तक 6G नेटवर्क लॉन्च करने की योजना बनाई है, जिसमें उन्नत सॉफ्टवेयर-आधारित अगली पीढ़ी के मोबाइल नेटवर्क और मजबूत नेटवर्क आपूर्ति श्रृंखलाओं का उपयोग किया जाएगा। सरकार ने 6G नेटवर्क के विकास के लिए स्थानीय कंपनियों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है।
जापान में, NTT और नोकिया ने मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2025 में 6G युग को साकार करने के लिए तकनीकों का अनावरण किया है। NTT का इनोवेटिव ऑप्टिकल एंड वायरलेस नेटवर्क (IOWN) पहल, ऑल-फोटोनिक्स नेटवर्क, डिजिटल ट्विन कंप्यूटिंग, और कॉग्निटिव फाउंडेशन को जोड़कर एंड-टू-एंड नेटवर्क सेवाएं प्रदान करने का लक्ष्य रखती है।
यूरोप
यूरोपीय संघ में, बारह प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटरों ने नियामकों से मोबाइल नेटवर्क के लिए पूरे ऊपरी 6GHz बैंड को आवंटित करने का आग्रह किया है, ताकि 6G तकनीक की तैनाती में अमेरिका से पीछे न रह जाएं। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस निर्णय में देरी यूरोप की प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर सकती है और 6G नवाचार में इसकी संभावनाओं को बाधित कर सकती है।
मध्य पूर्व
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने 6G विकास के लिए एक व्यापक रोडमैप की घोषणा की है, जिसमें वैज्ञानिक अनुसंधान, तकनीकी मानकों का विकास, और औद्योगिक, अकादमिक, और सरकारी क्षेत्रों के बीच रणनीतिक सहयोग पर जोर दिया गया है। TDRA का 'ICT रेगुलेटरी सैंडबॉक्स' 6G परीक्षणों की सुविधा प्रदान करता है, जिससे 2030 तक व्यापक अपनाने का मार्ग प्रशस्त होता है।
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6G की प्रमुख विशेषताएं और अनुप्रयोग
1. वास्तविक समय 3D होलोग्राफिक कॉल्स
6G तकनीक के माध्यम से 3D होलोग्राफिक कॉल्स संभव होंगी, जिससे दूरस्थ संचार अधिक इमर्सिव और जीवन्त होगा।
2. उन्नत AR/VR अनुभव
6G की उच्च गति और कम विलंबता के कारण, ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी अनुभवों में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और मनोरंजन क्षेत्रों में नए अनुप्रयोग विकसित होंगे।
3. स्मार्ट शहर और IoT विस्तार
6G की विशाल क्षमता के साथ, स्मार्ट शहरों का विकास होगा, जिसमें स्वायत्त परिवहन, ऊर्जा दक्षता, और उन्नत सार्वजनिक सेवाएं शामिल होंगी।
4. स्वास्थ्य सेवा में कनेक्टिविटी
6G तकनीक के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में रीयल-टाइम निगरानी और भविष्यवाणी आधारित स्वास्थ्य प्रबंधन संभव होगा, जिससे रोगियों की देखभाल में सुधार होगा।
6G के विकास में चुनौतियाँ
- उच्च अवसंरचना लागत: 6G नेटवर्क की तैनाती के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी।
- ऊर्जा खपत: उच्च आवृत्ति बैंड्स में संचालन के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता हो सकती है।
- डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा: आपस में जुड़े उपकरणों और संवेदनशील डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।
6G के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
1. शिक्षा क्षेत्र में बदलाव
6G तकनीक के माध्यम से शिक्षा पूरी तरह डिजिटल और इंटरेक्टिव हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचने से बच्चे बड़े शहरों जैसे ही संसाधनों का लाभ उठा सकेंगे। वर्चुअल क्लासरूम, लाइव प्रयोगशालाएं और होलोग्राम शिक्षकों के ज़रिए पढ़ाई संभव होगी।
- उदाहरण: एक छात्र भारत के किसी गाँव में बैठकर जापान की किसी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से होलोग्राम के ज़रिए क्लास अटेंड कर सकेगा।
2. कृषि में क्रांति
6G तकनीक के ज़रिए IoT आधारित सेंसर और ड्रोन का उपयोग अधिक सटीक खेती के लिए होगा। मिट्टी की नमी, फसल की वृद्धि, मौसम की जानकारी – सबकुछ रीयल टाइम मिलेगा।
- किसान बिना खेत में जाए यह जान सकेंगे कि कहां पानी देना है या कीटनाशक डालना है।
3. रोजगार के नए अवसर
जैसे 5G के आने से App Developer, Network Engineer जैसे नए प्रोफेशन बढ़े, वैसे ही 6G के साथ नए सेक्टर जैसे:
- ह्यूमन-डिजिटल इंटरफेस इंजीनियर,
- होलोग्राफिक डिज़ाइनर,
- AR/VR कंटेंट डेवलपर
जैसे नए रोजगार विकल्प पैदा होंगे।
4. स्वास्थ्य सेवा का विस्तार
- 6G से टेलीमेडिसिन का भविष्य और मजबूत होगा।
- दूरदराज़ के गाँवों में भी विशेषज्ञ डॉक्टर से हेडसेट और AR के ज़रिए ऑपरेशन में मदद ली जा सकेगी।
- AI आधारित स्वास्थ्य निगरानी सेवाएं मरीज के डेटा का तुरंत विश्लेषण कर निदान कर सकेंगी।
6G के विकास में अनुसंधान और नवाचार की भूमिका
1. प्रमुख अनुसंधान संस्थान
भारत में:
- IIT हैदराबाद
- IIT मद्रास
- IIT कानपुर
इन संस्थानों ने टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर 6G तकनीक की दिशा में प्रयोग शुरू किए हैं।
दुनिया में:
- Samsung, Huawei, Nokia, Ericsson, NTT जैसी कंपनियां 6G स्टैंडर्ड्स पर काम कर रही हैं।
- MIT (USA), University of Tokyo, TU Dresden (Germany) जैसी यूनिवर्सिटीज़ शोध में आगे हैं।
2. तकनीकी क्षेत्र
- THz (टेरेहर्ट्ज़) फ्रिक्वेंसी पर काम: 6G नेटवर्क्स 0.1 THz से लेकर 10 THz तक की फ्रिक्वेंसी पर काम करेंगे।
- AI integrated नेटवर्क: नेटवर्क स्वयं सीखकर ट्रैफिक को समझेगा और गुणवत्ता तय करेगा।
- सैटेलाइट कम्युनिकेशन: 6G में अंतरिक्ष आधारित इंटरनेट का बड़ा रोल होगा।
भारत की 6G यात्रा और चुनौती
भारत ने 6G विकास के लिए भारत 6G मिशन की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य है:
- 6G स्टैंडर्ड्स में भागीदारी,
- घरेलू तकनीकी विकास,
- स्टार्टअप्स को शामिल करना।
भारत की चुनौतियाँ
- फंडिंग की कमी: जैसा पहले बताया गया, चीन के मुकाबले भारत की R&D में निवेश बहुत कम है।
- टेक्नोलॉजी पर आयात निर्भरता: अधिकांश हार्डवेयर और नेटवर्क उपकरण विदेशों से आते हैं।
- स्किल्ड मैनपावर की कमी: 6G जैसी जटिल तकनीक के लिए विशेष प्रशिक्षण आवश्यक है।
समाधान के लिए सुझाव
- निजी और सरकारी क्षेत्र के बीच साझेदारी बढ़ाई जाए।
- IITs और स्टार्टअप्स को फंडिंग दी जाए।
- युवाओं को 6G और AI जैसी तकनीकों में ट्रेनिंग दी जाए।
6G और आम लोगों का जीवन
1. स्मार्ट होम्स और स्मार्ट लाइफस्टाइल
- हर चीज़ – फ्रिज, पंखा, टीवी, कार, घर का दरवाजा – 6G नेटवर्क से जुड़ी होगी।
- आप ऑफिस में बैठकर अपने घर की सुरक्षा, ऊर्जा उपयोग, बच्चों की स्थिति जान सकेंगे।
2. मनोरंजन में बदलाव
- 8K और 16K वीडियो स्ट्रीमिंग बिना बफरिंग के संभव होगी।
- होलोग्राफिक मूवीज़ और गेम्स आम हो जाएंगी।
- रीयल टाइम वर्चुअल इवेंट्स में भाग लिया जा सकेगा।
3. ट्रैफिक और स्मार्ट ट्रांसपोर्ट
- 6G आधारित वाहन एक-दूसरे से बात कर सकेंगे।
- दुर्घटनाएं कम होंगी, ट्रैफिक सिग्नल स्मार्ट होंगे।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट AI के अनुसार चलेगा।
भविष्य की झलक: 2030 का जीवन कैसा होगा?
2030 तक, जब 6G आम हो जाएगा, हमारा जीवन शायद कुछ इस तरह होगा:
- आप घर में बैठे ही वर्चुअल डॉक्टर से चेकअप करवा सकेंगे।
- विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई होलोग्राम के ज़रिए।
- बस में बैठे-बैठे मूवी नहीं, बल्कि वर्चुअल दुनिया का हिस्सा बन जाएंगे।
- कोई वस्तु ऑनलाइन ऑर्डर करने के 5 मिनट बाद ड्रोन द्वारा आपके दरवाजे पर।
6G का भविष्य हमारे हाथ में है – हमें मिलकर इसे गढ़ना है।
6G और सुरक्षा (Cybersecurity & Network Reliability)
जैसे-जैसे हम डिजिटल होते जाएंगे, साइबर सुरक्षा और नेटवर्क की विश्वसनीयता (Reliability) सबसे बड़ा मुद्दा बन जाएगी। 6G के साथ, हर चीज़ इंटरनेट से जुड़ी होगी – गाड़ी, मोबाइल, घर का लॉक, हेल्थ डिवाइस आदि।
1. खतरे क्या हो सकते हैं?
- हैकिंग: कोई हैकर आपकी कार या मेडिकल डिवाइस को रिमोट से बंद कर सकता है।
- डेटा चोरी: होलोग्राम कॉल या AR डिवाइस की मदद से कोई आपकी गोपनीय जानकारी चुरा सकता है।
- नेटवर्क हमले (Network Intrusion): 6G के थ्रूपुट और ऑटोमेशन का फायदा उठाकर बड़े स्तर पर नेटवर्क फेलियर किया जा सकता है।
2. समाधान की दिशा
- Quantum Encryption जैसी एडवांस तकनीक से डेटा को सुरक्षित रखना होगा।
- AI आधारित नेटवर्क सिक्योरिटी – मशीन खुद तय करेगी कौन सही यूज़र है और कौन नहीं।
- Zero Trust Model – हर उपकरण को बार-बार वेरीफाई करना पड़ेगा चाहे वो पहले से नेटवर्क में क्यों न हो।
6G और डेटा प्राइवेसी
6G की दुनिया में हर सेकेंड लाखों डिवाइस डेटा भेजेंगे – और वो आपके निजी जीवन का हिस्सा होगा।
1. कौन देख रहा है आपका डेटा?
- आपकी स्वास्थ्य रिपोर्ट, कैमरा फ़ीड, स्कूल में बच्चे की लोकेशन – सब क्लाउड में होगा।
- सरकारें, कंपनियाँ और AI टूल्स इसे एक्सेस कर सकते हैं।
2. कानूनों की आवश्यकता
- भारत को डेटा संरक्षण कानून और AI निगरानी कानून को 6G के अनुसार अपडेट करना होगा।
- हर नागरिक को यह जानने का अधिकार होना चाहिए कि उसका डेटा कहां, क्यों और किसके पास जा रहा है।
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6G और नैतिक प्रश्न (Ethical Concerns)
1. क्या सबको बराबर सुविधा मिलेगी?
- अगर सिर्फ अमीर और शहरी लोगों को ही 6G की पूरी सुविधा मिले और ग्रामीण व पिछड़े वर्ग पीछे रह जाएं, तो यह डिजिटल असमानता बढ़ाएगा।
2. क्या मशीनें मानव निर्णयों को बदल देंगी?
- AI के कारण मशीनें खुद निर्णय लेने लगेंगी – जैसे स्वास्थ्य, जॉब सिलेक्शन, कोर्ट में सजा आदि। यह खतरा है कि तकनीक मानव संवेदना को दबा दे।
3. क्या टेक्नोलॉजी से रिश्तों में दूरी बढ़ेगी?
- वर्चुअल और AR दुनिया में इंसान अधिक समय बिताएगा – इससे पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में गिरावट संभव है।
6G का पर्यावरण पर प्रभाव
1. ऊर्जा खपत
6G नेटवर्क के लिए लाखों टावर और डिवाइस की ज़रूरत होगी जो अत्यधिक ऊर्जा खपत करेंगे। यह कार्बन उत्सर्जन बढ़ा सकता है।
2. इलेक्ट्रॉनिक कचरा (E-Waste)
नई तकनीक आने से पुराने डिवाइस फेंके जाएंगे। इससे:
- ज़मीन और जल प्रदूषण बढ़ेगा।
- रिसाइक्लिंग की आवश्यकता बड़े पैमाने पर होगी।
3. समाधान की दिशा
- Green 6G Technologies पर ज़ोर देना होगा – जैसे Solar Powered Towers, Eco-friendly Chips।
- सरकारों को रिसाइक्लिंग नीति बनानी होगी और कंपनियों को जवाबदेह ठहराना होगा।
विश्व स्तर पर 6G को लेकर सरकारों की भूमिका
1. भारत सरकार
- भारत 6G मिशन की स्थापना।
- Telecom Innovation Fund की घोषणा।
- Startup India के तहत 6G आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा।
2. अमेरिका
- Next G Alliance द्वारा 6G रोडमैप तैयार।
- विश्वविद्यालयों और रक्षा एजेंसियों को मिलाकर 6G के लिए शोध में निवेश।
3. चीन
- सबसे तेज़ रिसर्च और पेटेंट जमा करने वाला देश।
- बीजिंग में 6G एक्सपेरिमेंटल सैटेलाइट पहले ही लॉन्च हो चुका है।
4. यूरोपीय यूनियन
- Hexa-X प्रोजेक्ट – जो 6G स्टैंडर्ड विकसित कर रहा है।
- डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा पर विशेष ध्यान।
आखिरी विचार – क्या 6G एक वरदान होगा या चुनौती?
6G तकनीक हमें एक नई दुनिया की ओर ले जाएगी – जहाँ सीमाएं नहीं होंगी, जहाँ ज्ञान और स्वास्थ्य हर किसी तक पहुँच सकेगा। लेकिन यह तभी संभव है जब हम:
- तकनीक के साथ नैतिकता बनाए रखें।
- हर वर्ग तक इसकी पहुंच सुनिश्चित करें।
- साइबर सुरक्षा, गोपनीयता और पर्यावरण का ध्यान रखें।
अंतिम निष्कर्ष (Final Conclusion)
6G सिर्फ एक और मोबाइल नेटवर्क नहीं है। यह मानव सभ्यता की अगली छलांग है।
- यह वह शक्ति है जो कल्पनाओं को हकीकत में बदल सकती है।
- यह वह मंच है जो गरीब और अमीर के बीच की खाई को पाट सकता है – बशर्ते सही दिशा में प्रयोग हो।
- यह वह परिवर्तन है जो 21वीं सदी की गति को परिभाषित करेगा।
भारत के लिए यह एक मौका है – आयातक से निर्यातक बनने का, उपभोक्ता से निर्माता बनने का।
6G तकनीक सिर्फ तेज इंटरनेट नहीं, बल्कि एक नई क्रांति है, जो मानव जीवन के हर हिस्से को बदल देगी। भारत के लिए यह एक मौका है तकनीकी दुनिया में नेतृत्व करने का, बशर्ते हम समय रहते सही निवेश, शिक्षा और नीति अपनाएं।
हालांकि 6G तकनीक अभी तक आम उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं हुई है, लेकिन दुनिया भर में इसके विकास और परीक्षण में तेजी से प्रगति हो रही है। भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, यूरोप, और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में 6G अनुसंधान और विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 6G का व्यावसायिक रूप से उपयोग 2030 तक शुरू हो सकता है, जिससे संचार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और अन्य क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे।
आइए, हम सभी मिलकर 6G के इस भविष्य को जिम्मेदारी से अपनाएं, समझें और गढ़ें।
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------------ टीम आरएसएस कंप्यूटर सेण्टर